चण्डीस्थान : जहां आस्था मिलती है प्रकृति की गोद से

Editorial News Desk :

बिहार की पवित्र भूमि गया…
बुद्ध की ध्यानस्थली, आस्था और इतिहास का संगम।
इसी धरती पर, पहाड़ियों और हरी वादियों के बीच, जीटी रोड के किनारे बसा है एक छोटा सा गांव— चण्डीस्थान

गया शहर से लगभग 52 किलोमीटर दूर यह गांव पहली नज़र में साधारण लगता है, लेकिन जैसे-जैसे कदम आगे बढ़ते हैं, यह गांव अपनी छुपी हुई कहानियों से आपको बांध लेता है।


 

चंडी माता मंदिर

कथा चण्डी माता मंदिर की

गांव के बीचों-बीच खड़ा है चण्डी माता मंदिर
लाल चुनरी में लिपटी प्रतिमा, घंटियों की मधुर झंकार और धूप की सुगंध पूरे वातावरण को पवित्र बना देते हैं।

स्थानीय लोग बताते हैं—
“कभी यहां सिर्फ एक विशाल पेड़ था। उसी के नीचे विराजमान थीं माता चण्डी। समय बीतता गया, जंगल मंदिर में बदल गया… और माता की ख्याति दूर-दूर तक फैल गई।”

लोग मानते हैं कि सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद यहां पूरी होती है।
यही वजह है कि आज भी सैकड़ों किलोमीटर दूर से लोग यहां आकर अपनी समस्याएं माता के चरणों में समर्पित करते हैं।


सुबह की शुरुआत : व्यायाम और जीवन की लय

चण्डीस्थान की सुबह अलग है।
सूरज की पहली किरण पहाड़ों से झांकती है और गांववाले इकट्ठे होकर खुले मैदान में व्यायाम करते हैं।

बच्चों की खिलखिलाहट, बुजुर्गों की हंसी और हवा में ताज़गी…

गांव की जीवनशैली का यह दृश्य किसी फिल्म के शुरुआती सीन जैसा लगता है।


प्राकृतिक सौंदर्य झील

प्रकृति का रहस्य : झील या खदान?

गांव से थोड़ी ही दूरी पर है एक रहस्यमयी झील।

लोग इसे “पानी का खदान” कहते हैं।

बीस साल पहले जीटी रोड बनने के दौरान बनी यह झील आज प्रकृति की अनमोल धरोहर है।

गहराई इतनी कि पानी कभी सूखता ही नहीं।
खेतों की सिंचाई से लेकर मछली पालन तक—यह झील गांव की जीवनरेखा है।

और जब ठंडी हवा झील की सतह को छूती है, तो दृश्य इतना सुंदर लगता है कि कैमरे का हर फ्रेम पोस्टकार्ड बन जाए।


खास स्वाद : सूखा छेना

आस्था और प्रकृति के बीच अगर कुछ और चखना हो तो वह है—चण्डीस्थान का सूखा छेना
ऊपर से सादा, लेकिन भीतर से रस से भरा।

स्थानीय कारीगर पूरे एक दिन लगाकर इसे तैयार करते हैं।
यही वजह है कि यह मिठाई रिश्तों में मिठास घोलने का सबसे पसंदीदा तोहफ़ा बन चुकी है।


नजारा

चण्डीस्थान : एक अनुभव, एक एहसास

यह गांव सिर्फ मंदिरों या वादियों का नाम नहीं…
यह है आस्था की आवाज़, प्रकृति की सांसें, और संस्कृति की धड़कन

जब आप यहां आते हैं, तो लगता है मानो वक्त धीमा पड़ गया हो।
घंटियों की गूंज, पहाड़ियों की ठंडी हवा, झील की नीरवता और सूखे छेना की मिठास—ये सब मिलकर एक ऐसा अनुभव रचते हैं, जो आंखों से नहीं, दिल से देखा जाता है।

Ayush Mishra

joournalist

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