
पटना। बिहार की राजनीति में भूमिहार समाज को लेकर एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है। 3 मई 2022 को पटना के बापू सभागार में भगवान परशुराम जयंती समारोह के मंच पर जब राजद नेता तेजस्वी यादव शामिल हुए थे, तब इस घटना ने सबका ध्यान खींचा था। तेजस्वी ने उस दिन अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि “सामाजिक न्याय का मतलब किसी को बाहर करना नहीं बल्कि सबको साथ लेकर आगे बढ़ना है।”
इस मौके पर भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशुतोष कुमार की भूमिका अहम रही थी। माना जाता है कि उन्होंने ही भूमिहार समाज और राजद के बीच संवाद की पहल की थी। हालांकि बाद में आशुतोष कुमार ने अपनी राजनीतिक पारी अलग से शुरू करते हुए राष्ट्रीय जन जन पार्टी बनाई और 2024 लोकसभा चुनाव में जहानाबाद से किस्मत आजमाई, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल सकी।
अब BJP में शामिल
अब विधानसभा चुनाव 2025 से पहले आशुतोष कुमार ने अपनी नई राजनीतिक राह चुन ली है। मंगलवार की सुबह वे अपने समर्थकों के साथ पटना स्थित बीजेपी दफ्तर पहुंचे और औपचारिक रूप से पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इस दौरान उन्हें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच स्थान मिला और मंच पर वे उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा के साथ नजर आए।
फैसले के पीछे की वजह
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हाल के दिनों में कुछ बयानों और नारों के कारण सवर्ण समाज, खासतौर पर भूमिहार वर्ग में नाराजगी देखी जा रही थी। ऐसे माहौल में आशुतोष कुमार ने अपनी रणनीति बदलते हुए बीजेपी का रुख किया।
आशुतोष के इस कदम से बिहार की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं, क्योंकि वे भूमिहार समाज में एक प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। हालांकि समाज के भीतर उनका विरोध भी देखने को मिला था, खासकर तब जब उन्होंने तेजस्वी यादव को परशुराम जयंती समारोह में आमंत्रित किया था।